Thursday, 11 July 2013

प्रेम लीला उपन्यास के अंश

प्रेम के  बिना जीवन का कोई अर्थ ही  नहीं ये बात संत भी गए और साधारण मानव के अशिक्षित से भावो में भी दिखती है --ये बात लीला ने कही तो शहनाज ने बड़ी गौर से देखा और कहा -क्या बात है लीला कहाँ से पढ़ा ये सब -
लीला ने कहा कि एक पत्रिका में पढ़ी थी कुछ ऐसी ही लाइन --क्या इनका मतलब समझती हो तुम शहनाज -
हां --इश्क ,मुहब्बत की बाते तो मै खूब  समझती हूँ -मुझे भी तो कोई बड़ा चाहता है न -

अभी से अभी तो हमने 12वी भी नहीं की है अभी तो हमें पढना लिखना है -

पढ़ते भी रहेंगे और दिल भी लगा लेंगे किसने रोका है -------------------क्रमश :  

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